तीरछी नजर से ना देख रे गुईया
चुड़ैल लेखे दिसिसला
तीरछी नजर से ना देख रे गुईया
भुतनी लेखे दिसिसला
जब तोंय देखीसला तो बोखराय जाओना
जब तोंय बोलीसला तो पगलाय जाओना
डाॅक्टर केर सुई दवाई काम नहीं करेला
ओझा केर झाड़ फुंक से ठीक होवेला
– ऐ ओझा बताय दे कुछ वजह
मुड़ में आहे बोझा।
– ऐ बाबू तानी सुईन ले
पूर्वी दूरा वाली छोड़ी नजर तोके मारेला
जाने जाने जाहीला नजर तोर में रखेला
उ गली आना जाना छोड़ दे बाबू
नई तो ऊ छोड़ी कईर लेवी काबूं
फिर तोंय मुरूख पीबे दारू
मुरूख पीबे हांड़ी
हिने हुने घुईम घुईम के
गिराय देबे गाड़ी
सेहेले मोंय कहोना
तोंय बंधवाय ले ताबीज
– गुरूजी कतई लागी ताबीज केर खर्चा
उ छोड़ी से पीछा छोड़ाय ले
– सुईन ले बाबू तोर लागी केतई खर्चा
पांच सौ एक रूपया लागी तोर खर्चा
और लागी ऊपरे से खांसी वाला बकरा
सुईन ले रे सकरा
– मोके खेतो भी बांधा करेक पड़ी भगत
मोके घरो भी बेचेक खोचेक पड़ी भगत
तब होवी ई मोर लगीन खर्चा।
– आगे पीछे, दायां बायां, सागरो देखेक पड़ी बाबा
नजर ऊजर लागी सेके सोबके काटेक पड़ी बाबा।
आन धान, खान पान, सोबके देखेक पड़ी बाबा।
ढेला खाएगा ढेला पचेगा
पथल खाएगा पथल पचेगा
नमक खायेगा नमक पचेगा
तेल खायेगा तेल पचेगा
पोरा खायेगा पोरा पचेगा
और छोड़ी का नजर फेल होगा।
तिरछी नजर से….
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