एक गरीब FAMILY थी जिस मे 5 लोग थे! माँ बाप और 3 बच्चे बाप हमेशा बीमार रहता था ।
एक दिन वो मर गया ।3 दिन तक पड़ोसियों ने खाना भेजा ।
बाद में भूखे रहने के दिन आ गए, माँ ने कुछ दिन तक जैसे-तैसे बच्चों को खाना खिलाया ।
लेकिन कब तक आखिर फिर से भूखे रहना पड़ा! जिस की वजह से 8 साल का
बेटा बीमार हो गया और बिस्तर पकड़ लिया एक दिन 5 साल की बच्ची ने माँ के कान में पूछा! माँ भाई कब मरेगा?
माँ ने तड़प कर पूछा ऐसा क्यों पूछ रही हो?
बच्ची ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया जिसे सुन कर आप की आँखों में आँसु आ जायेंगे!बच्ची का जवाब था ,”माँ भाई मरेगा तो
घर में खाना आएगा ना! भाइयो और बहनो, आपके खाने में गरीबो का भी हक है ।
X , एक दोस्त ने नया मोबाइल खरीदा!
Ravi : देख, Rahul मैने नया मोबाइल खरीदा!
Rahul: वाह.. क्या बात है, आज पार्टी तो देनी पडेगी मुझे अगर पार्टी देगा तो मैँ भी तुझे एक Gift दुँगा!
Ravi: OK चल ठीक है आज रात को Hotel मेँ पार्टी मेरी तरफ से!
(रात को दोनो Hotel मेँ मिलते है)
Rahul: अरे यार तु इतना गरीब है, एक-एक रुपया इकठ्ठा करके मोबाइल खरीदा और अब
पार्टी का इंतजाम कैसे किया?
Ravi : पार्टी के लिए मोबाइल बेच दिया, तेरे लिए तो जान भी दे दु तु कहे तो!
Rahul: मुझे पता था तु साला ऐसा ही कुछ करेगा इसलिए तुने जिस दुकान पर मोबाइल बेचा मैने वही से वापस खरीद कर लाया हु ले यह मेरी तरफ से GIFT!
मोरल :”जिँदगी मेँ दोस्त नही बल्कि दोस्त मेँ जिँदगी होनी चाहिए”!
लड़कियों से क्या दोस्ती करना , जो पल भर में छोड़ जाती है, दोस्ती करनी है तो लड़को से करो, जो मरने के बाद भी कंधे पे ले जाते है!
प्रत्येक लाइन गहराई से पढ़े-
गरीब दूर तक चलता है खाना खाने के लिए।
अमीर मीलों चलता है खाना पचाने के लिए।
किसी के पास खाने के लिए एक वक्त की रोटी नहीं है!
किसी के पास खाने के लिए वक्त नहीं है।
कोई लाचार है इसलिए बीमार है कोई बीमार है इसलिए लाचार है।
कोई अपनों के लिए रोटी छोड़ देता है कोई रोटी के लिए अपनों को छोड़ देते है।
ये दुनिया भी कितनी निराळी है। कभी वक्त मिले तो सोचना कभी छोटी सी चोट लगने पर रोते थे आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते है। पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे आज दोस्तों की यादों में रहते है।
पहले लड़ना मनाना रोज का काम था आज एक बार लड़ते है, तो रिश्ते खो जाते है।
सच में जिन्दगी ने बहुत कुछ सीखा दिया, जाने कब हमकों इतना बड़ा बना दिया।
जिंदगी बहुत कम है, प्यार से जियो
रोज सिर्फ इतना करो –
गम को “Delete”, खुशी को “Save”, रिश्तोँ को “Recharge”, दोस्ती को “Download”
दुश्मनी को “Erase”, सच को “Broadcast”
झूठ को “Switch Off”, टेँशन को “Not Reachable”, प्यार को “Incoming”, नफरत को “Outgoing”, हँसी को “Inbox”, आंसुओँ को “Outbox”, गुस्से को “Hold”, मुस्कान को “Send”, हेल्प को “OK”, दिल को करो “Vibrate”, फिर देखो जिँदगी का
“RINGTONE” कितना प्यारा बजता है!
“जो भाग्य में है , वह भाग कर आएगा,
जो नहीं है , वह आकर भी भाग जाएगा!
यहाँ सब कुछ बिकता है, दोस्तों रहना जरा संभाल के, बेचने वाले हवा भी बेच देते है , गुब्बारों में डाल के, सच बिकता है, झूट बिकता है, बिकती है हर कहानी, तीनों लोक में फेला है , फिर भी बिकता है बोतल में पानी, कभी फूलों की तरह मत जीना, जिस दिन खिलोगे, टूट कर बिखर्र जाओगे, जीना है तो पत्थर की तरह जियो; जिस दिन तराशे गए, “भगवान” बन जाओगे!
“रिश्ता” दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं,
“नाराजगी” शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!
सड़क कितनी भी साफ हो “धुल” तो हो ही जाती है,इंसान कितना भी अच्छा हो “भूल” तो हो ही जाती है!
आइना और परछाई के जैसे मित्र रखो क्योकि
आइना कभी झूठ नही बोलता और परछाई कभी साथ नही छोङती!
खाने में कोई ‘ज़हर’ घोल दे तो एक बार उसका ‘इलाज’ है लेकिन ‘कान’ में कोई ‘ज़हर’ घोल दे तो, उसका कोई ‘इलाज’ नहीं है।
“मैं अपनी ‘ज़िंदगी’ मे हर किसी को ‘अहमियत’ देता हूँ क्योंकि जो ‘अच्छे’ होंगे वो ‘साथ’ देंगे…
और जो ‘बुरे’ होंगे वो ‘सबक’ देंगे!
अगर लोग केवल जरुरत पर ही आपको याद करते है तो बुरा मत मानिये बल्कि गर्व कीजिये क्योंकि “मोमबत्ती की याद तभी आती है,
जब अंधकार होता है।”
एक किसान की मन की बात –
कहते हैं इन्सान सपना देखता है तो वो ज़रूर पूरा होता है मगर किसान के सपने कभी पूरे नहीं होते।
बड़े अरमान और कड़ी मेहनत से फसल तैयार करता है, और जब तैयार हुई फसल को बेचने मंडी जाता है।बड़ा खुश होते हुए जाता है!
बच्चों से कहता है आज तुम्हारे लिये नये कपड़े लाऊंगा फल और मिठाई भी लाऊंगा।
पत्नी से कहता है तुम्हारी साड़ी भी कितनी पुरानी हो गई है फटने भी लगी है आज एक साड़ी नई लेता आऊंगा।
पत्नी:–”अरे नही जी!“ये तो अभी ठीक है!
“आप तो अपने लिये जूते ही लेते आना कितने पुराने हो गये हैं और फट भी तो गये हैं!
जब किसान मंडी पहुँचता है।
ये उसकी मजबूरी है वो अपने माल की कीमत खुद नहीं लगा पाता।
व्यापारी उसके माल की कीमत अपने हिसाब से तय करते हैं एक साबुन की टिकिया पर भी उसकी कीमत लिखी होती है.।
एक माचिस की डिब्बी पर भी उसकी कीमत लिखी होती है।लेकिन किसान अपने माल की कीमत खु़द नहीं कर पाता।
खैर, माल बिक जाता है, लेकिन कीमत उसकी सोच अनुरूप नहीं मिल पाती।
माल तौलाई के बाद जब पेमेन्ट मिलता है
वो सोचता है इसमें से दवाई वाले को देना है, खाद वाले को देना है, मज़दूर को देना है!
अरे हाँ, बिजली का बिल भी तो जमा करना है, सारा हिसाब लगाने के बाद कुछ बचता ही नहीं।
वो मायूस हो घर लौट आता है।
बच्चे उसे बाहर ही इन्तज़ार करते हुए मिल जाते हैं!“पिताजी..! पिताजी..!” कहते हुये उससे लिपट जाते हैं और पूछते हैं “हमारे नये कपडे़ नहीं ला़ये..?”
पिता:–”वो क्या है बेटा कि बाजार में अच्छे कपडे़ मिले ही नहीं, दुकानदार कह रहा था,
इस बार दिवाली पर अच्छे कपडे़ आयेंगे तब ले लेंगे!”
पत्नी समझ जाती है, फसल कम भाव में बिकी है, वो बच्चों को समझा कर बाहर भेज देती है.।
पति:–”अरे हाँ “तुम्हारी साड़ी भी नहीं ला पाया”
पत्नी:–”कोई बात नहीं जी, हम बाद में ले लेंगे लेकिन आप अपने जूते तो ले आते..!”
पति:– “अरे वो तो मैं भूल ही गया..!”
पत्नी भी पति के साथ सालों से है पति का मायूस चेहरा और बात करने के तरीके से ही उसकी परेशानी समझ जाती है लेकिन फिर भी पति को दिलासा देती है और अपनी नम आँखों को साड़ी के पल्लू से छिपाती रसोई की ओर चली जाती है।
फिर अगले दिन सुबह पूरा परिवार एक नयी उम्मीद, एक नई आशा एक नये सपने के साथ नई फसल की तैयारी के लिये जुट जाता है.।
ये कहानी, हर छोटे और मध्यम किसान की ज़िन्दगी में हर साल दोहराई जाती है।हम ये नहीं कहते कि हर बार फसल के
सही दाम नहीं मिलते!
लेकिन जब भी कभी दाम बढ़ें, मीडिया वाले कैमरा ले के मंडी पहुच जाते हैं और खबर को दिन में दस दस बार दिखाते हैं।
कैमरे के सामने शहरी महिलायें हाथ में बास्केट ले कर अपना मेकअप ठीक करती मुस्कराती हुई कहती हैं! सब्जी के दाम बहुत बढ़ गये हैं हमारी रसोई का बजट ही बिगड़ गया!
कभी अपने बास्केट को कोने में रख कर किसी खेत में जा कर किसान की हालत तो देखिये.।
वो किस तरह फसल को पानी देता है।
25 लीटर दवाई से भरी हुई टंकी पीठ पर लाद कर छिङ़काव करता है| 20 किलो खाद की
तगाड़ी उठा कर खेतों में घूम-घूम कर फसल को खाद देता है|अघोषित बिजली कटौती के चलते रात-रात भर बिजली चालू होने के इन्तज़ार में जागता है| चिलचिलाती धूप में सिर का पसीना पैर तक बहाता है!ज़हरीले जन्तुओं का डर होते भी खेतों में नंगे पैर घूमता है|
जिस दिन ये वास्तविकता आप अपनी आँखों से देख लेंगे, उस दिन आपके किचन में रखी हुई सब्ज़ी, प्याज़, गेहूँ, चावल, दाल, फल, मसाले, दूध सब सस्ते लगने लगेंगे|
तभी तो आप भी एक मज़दूर और किसान का दर्द समझ सकेंगे।
एक दिन पंडित को प्यास लगी, संयोगवश घर में पानी नहीं था। इसलिए उसकी पत्नी पड़ोस से पानी ले आई। पानी पीकर पंडित ने पूछा
पंडित – कहाँ से लायी हो? बहुत ठंडा पानी है।
पत्नी – पड़ोस के कुम्हार के घर से।
(पंडित ने यह सुनकर लोटा फेंक दिया और उसके तेवर चढ़ गए। वह जोर-जोर से चीखने लगा )
पंडित – अरी तूने तो मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया। कुम्हार ( शूद्र ) के घर का पानी पिला दिया।
(पत्नी भय से थर-थर कांपने लगी)उसने पण्डित से माफ़ी मांग ली।
पत्नी – अब ऐसी भूल नहीं होगी।
शाम को पण्डित जब खाना खाने बैठा तो घर में खाने के लिए कुछ नहीं था।
पंडित – रोटी नहीं बनाई।भाजी नहीं बनाई। क्यों?
पत्नी – बनायी तो थी। लेकिन अनाज पैदा करने वाला कुणबी(शूद्र) था और जिस कड़ाई में बनाया था, वो कड़ाई लोहार (शूद्र) के घर से आई थी। सब फेंक दिया।
पण्डित – तू पगली है क्या? कहीं अनाज और कढ़ाई में भी छूत होती है?
यह कह कर पण्डित बोला- कि पानी तो ले आओ।
पत्नी – पानी तो नहीं है जी।
पण्डित – घड़े कहाँ गए?
पत्नी – वो तो मैंने फेंक दिए। क्योंकि कुम्हार के हाथ से बने थे।
पंडित बोला- दूध ही ले आओ। वही पीलूँगा।
पत्नी – दूध भी फेंक दिया जी। क्योंकि गाय को जिस नौकर ने दुहा था, वो तो नीची (शूद्र) जाति से था।
पंडित- हद कर दी तूने तो यह भी नहीं जानती की दूध में छूत नहीं लगती है।
पत्नी-यह कैसी छूत है जी, जो पानी में तो लगती है, परन्तु दूध में नहीं लगती।
(पंडित के मन में आया कि दीवार से सर फोड़ लूं)
वह गुर्रा कर बोला – तूने मुझे चौपट कर दिया है जा अब आंगन में खाट डाल दे मुझे अब नींद आ रही है।
पत्नी- खाट!!!! उसे तो मैनें तोड़ कर फेंक दिया है जी। क्योंकि उसे शूद्र (सुथार ) जात वाले ने बनाया था।
पंडित चीखा – वो फ़ूलों का हार तो लाओ। भगवान को चढ़ाऊंगा, ताकि तेरी अक्ल ठिकाने आये।
पत्नी – हार तो मैंने फेंक दिया। उसे माली (शूद्र) जाति के आदमी ने बनाया था।
पंडित चीखा- सब में आग लगा दो, घर में कुछ बचा भी हैं या नहीं।
पत्नी – हाँ यह घर बचा है, इसे अभी तोड़ना बाकी है। क्योंकि इसे भी तो पिछड़ी जाति के मजदूरों ने बनाया है।
पंडित के पास कोई जबाब नहीं था।उसकी अक्ल तो ठिकाने आयी।बाकी लोगों कि भी आ जायेगी
सिर्फ इस कहानी को…हो सकता है देश से जातिय भेदभाव खत्म हो जाये।एक कदम बढ़ाकर तो देखो.
किसी ने बर्फ से पूछा कि, आप इतनी ठंडी क्यूं हो ?बर्फ ने बड़ा अच्छा जवाब दिया :-” मेरा अतीत भी पानी; मेरा भविष्य भी पानी…” फिर गरमी किस बात पे रखूं ??क्या इंसान की भी यही स्थिति नहीं है।उसका अतीत भी”खाली हाथ” एवं भविष्य भी “खाली हाथ”फिर….? घमंड किस बात का! आप सभी का दिन मंगलमय हो।
TEMPLE में 6 अक्षर हैं और MASJID और CHURCHमें भी!
GEETA में 5 अक्षर हैं और QURAN और BIBLE में भी!
LIFE में 4 अक्षर हैं और DEAD में भी!
HATE में 4 अक्षर हैं और LOVE में भी!
NEGATIVE में 8 अक्षर हैं और POSITIVE में भी!
FAILURE में 7 अक्षर हैं और SUCCESS में भी!
BELOW में 5 अक्षर हैं और ABOVE में भी!
CRY में 3 अक्षर हैं और JOY में भी!
ANGER में 5 अक्षर हैं और HAPPY में भी!
RIGHT में 5 अक्षर हैं और WRONG में भी!
RICH में 4 अक्षर हैं और POOR में भी!
FAIL में 4 अक्षर हैं और PASS में भी!
अगर विरोधी शब्दों में भी समानता है, फिर अपनों में क्यों नहीं?
मित्रों, आप सभी से अनुरोध है कि कृपया इसे जरूर शेयर करें।आज इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
ज़िन्दगी A B C D है यकींन नहीं है क्या!!
A ऐतबार, B भरोसा, C चाहत,D दोस्ती, E इनायत,F फैसला,G गम, H हिम्मत, I इंतज़ार, J जरुरत, K ख्याल, L लम्हें, M मोहब्बत, N नाराज़गी,O उम्मीद, P प्यार,Q किस्मत, R रिश्ते, S समझौता, T तमन्ना, U उदासियां, V विरासत, W वादा, X एक्सचेंज, Y यादें, इन सब फीलिंग्स से मिलकर बनती है Z ज़िन्दगी।
रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान
बन्द ही कर रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया! उसके मुॅंह में एक थैली थी, जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे! दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया! कुत्ते ने थैली मुॅंह मे उठा ली और चला गया! दुकानदार आश्चर्यचकित होके कुत्ते के पीछे
पीछे गया ये देखने की इतने समझदार कुत्ते का मालिक कौन है कुत्ता बस स्टाॅप पर खडा रहा, थोडी देर बाद एक बस आई जिसमें
चढ गया कंडक्टर के पास आते ही अपनी गर्दन आगे कर दी, उस के गले के बेल्ट में पैसे और
उसका पता भी था कंडक्टर ने पैसे लेकर टिकट कुत्ते के गले के बेल्ट मे रख दिया अपना स्टाॅप आते ही कुत्ता आगे के दरवाजे पे चला गया और पूॅंछ हिलाकर कंडक्टर को इशारा कर दिया
और बस के रुकते ही उतरकर चल दिया दुकानदार भी पीछे पीछे चल रहा था कुत्ते ने घर का दरवाजा अपने पैरोंसे २-३ बार खटखटाया
अन्दर से उसका मालिक आया और लाठी से
उसकी पिटाई कर दी! दुकानदार ने मालिक से इसका कारण पूछा ?
मालिक बोला, “साले ने मेरी नींद खराब कर दी,
चाबी साथ लेके नहीं जा सकता था गधा”
जीवन की भी यही सच्चाई है आपसे लोगों की अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं है जहाँ आप चूके वहीं पर लोग बुराई निकाल लेते हैं और पिछली सारी अच्छाईयों को भूल जाते हैं इसलिए अपने कर्म करते चलो, लोग आपसे कभी संतुष्ट नहीं होएँगे।
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